Gita Acharan |Hindi

'एक्ट ऑफ कमीशन एंड ओमिशन' (कृताकृत और भूल चूक) आमतौर पर कानूनी शब्दावली में
इस्तेमाल किया जाने वाला एक वाक्यांश है। उचित समय पर ब्रेक लगाने में विफल रहने वाले चालक ने चूक का कार्य किया जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटना हुई। 'चूक' या अकर्म का यह कार्य दुर्घटना के कर्म की ओर ले जाता है।

उदहारण के लिए, कोई भी क्रिया करते समय, हम अपने लिए उपलब्ध कई अलग-अलग विकल्पों में से चुनते हैं। जब हम इनमें से किसी एक विकल्प का प्रयोग करते हैं और कार्य करते हैं, तो अन्य सभी विकल्प हमारे लिए अकर्म बन जाते हैं, जिससे यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रत्येक कर्म में अकर्म छिपा होता है।

ये उदाहरण हमें कृष्ण के गहन कथन को समझने में मदद करते हैं कि जो मनुष्य कर्म में अकर्म देखता है और जो अकर्म में कर्म देखता है, वह मनुष्यों में बुद्धिमान है और वह योगी समस्त कर्मों को करने वाला है (4.18)।

कृष्ण स्वयं कहते हैं कि क्या कर्म है और अकर्म क्या है? इस प्रकार इसका निर्णय करने में बुद्धिमान पुरुष
भी मोहित हो जाते हैं (4.16 ) । वह आगे कहते हैं कि कर्म का स्वरूप भी जानना चाहिए और अकर्म का स्वरूप भी जानना चाहिए तथा विकर्म का स्वरूप भी जानना चाहिए; क्योंकि कर्म की गति गहन है (4.17)।

एक चिंतनशील व्यक्ति ने एक बार एक जानवर को जंगल में भागते हुए देखा। क्षण भर बाद, एक कसाई आता है और उससे पूछता है कि क्या उसने जानवर को देखा है। व्यक्ति दुविधा में पड़ता है, क्योंकि सच्चाई के परिणामस्वरूप पशु की मृत्यु हो जाएगी, जबकि झूठ बोलना अनैतिक है । यदि हम सभी संस्कृतियों और धर्मों के सभी निषिद्ध कार्यों को जोड़ दें, तो जीना असंभव होगा। इसलिए, श्री कृष्ण इंगित करते हैं कि ये मुद्दे जटिल हैं और बुद्धिमान भी मोहित हो जाते हैं।

जीवन हमें कई ऐसी स्थितियां प्रस्तुत करता है जहां आगे कुआं और पीछे खाई होती है। जिस भौतिक सतह में हम सभी रहते हैं उस तल में कोई आसान उत्तर नहीं होता। जब हम कर्त्ता से साक्षी की ओर बढ़ते हैं और चुनाव रहित जागरूकता के साथ जीते हैं, तभी स्पष्टता आती हैं।


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