पतवार से जुड़े एक छोटे–से यंत्र ’ट्रिम टैब’ में हल्का–सा बदलाव बड़े जहाज की दिशा बदल देता है। इसी तरह, गीता का अध्ययन करने के लिए एक हल्का–सा स्पर्श हमारे जीवन में पाठ्यक्रम को नया रूप दे सकता है।

महामारी का समय चल रहा है। विपत्ति की इस स्थिति में उपलब्ध थोड़ा सा समय गीता में गोता लगाने के लिए किया जा सकता है, जो जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है।

गीता किंडरगार्टन से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक की आंतरिक बोध के लिए एक शाश्वत पाठ्य पुस्तक है और संभावना है कि पहले पढऩे में बहुत कम अवधारणाएं समझ में आती हैं।

यदि हम अभिव्यक्ति की दृष्टि से देखें तो इन्हें आसानी से समझा जा सकता है, जो हमारी इंद्रियों के दायरे में है (इन इंद्रियों को विस्तारित करने के लिए बनाए गए वैज्ञानिक उपकरणों सहित) और अव्यक्त, जो हमारी इंद्रियों से परे है।

प्रकट (व्यक्त) होने की कहानी ’बिग बैंग’ से लेकर सितारों के बनने तक, सितारों के विस्फोट में इन तत्वों के प्रसार से लेकर ग्रह प्रणालियों के निर्माण तक बुद्धिमान जीवन की उपस्थिति तक जाती है।

यह वैज्ञानिक समुदाय द्वारा एक स्वीकृत तथ्य है कि इन प्रकट जीवन रूपों, ग्रहों, सितारों और यहां तक कि ब्रह्मांड के अस्तित्व की एक निश्चित समय सीमा है। हालांकि अनुमानित समय के पैमाने भिन्न हो सकते हैं।

हमारी यह समझ कि हम जन्म से मृत्यु तक मौजूद हैं, प्रकट दृष्टिकोण से सही है। गीता के अनुसार अव्यक्त दृष्टि से हम जन्म से पहले और मृत्यु के बाद मौजूद हैं। हमारे मन के पीछे इस स्पष्टता के साथ, हम उनके बीच के संबंध को आसानी से समझ सकते हैं।

जैसा कि गीता में बताया गया है कि हम अव्यक्त (मोक्ष) को साकार करने के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। अहंकार एक बाधा है परंतु आनंद की मात्रा, जो बाहर के सुख या दर्द के बावजूद भर जाती है, अव्यक्त तक पहुंचने के लिए तय की गई दूरी का एक संकेतक है।


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