श्रीकृष्ण (2.40) आश्वासन देते हैं कि कर्म योग की दिशा में किया थोड़ा सा प्रायस भी परिणाम देता हैं और यह धर्म (अनुसासा) बड़े भय से हमारी रक्षा करता है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि जहां सांख्य योग शुद्ध जागरूकता है, वहीं कर्मयोग में प्रयास करना पड़ता है।

यह उन साधकों के लिए भगवान श्रीकृष्ण का एक निश्चित आश्वासन है, जिन्होंने अभी-अभी अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की है और जो इस प्रयास को कठिन पाते हैं।

श्रीकृष्ण हमारी कठिनाई को समझते हैं और हमें विश्वास दिलाते हैं कि एक छोटा सा प्रयास भी अद्भुत परिणाम दे सकता है। वह हमें निष्काम कर्म और समत्व के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

एक तरीका यह है कि श्रद्धा के साथ श्रीकृष्ण द्वारा बताये गए कर्मयोग का अभ्यास शुरू करें। समय के साथ, जब हम कर्मयोग द्वारा से अपने अनुभवों को देखने का अभ्यास करते हैं, हमारी अनुभूतियां और गहरी होती जाती हैं जबतक हम अपनी अंतरात्मा तक नहीं पहुंच जाते।

एक वैकल्पिक तरीका यह है कि हम अपने डर को समझें और समझें कि कर्म योग का अभ्यास उन्हें कैसे दूर कर सकता है। डर मूलत: हमारी आंतरिक अपेक्षाओं और वास्तविक दुनिया की विसंगति का परिणाम है। कर्म योग हमें निष्काम कर्म के बारे में सिखाता है। यह हमारे कार्यों से हमारी अपेक्षाओं को कम करने में सहायता करता है। इससे हमारे भीतर का डर कम होता है।

पतवार से जुड़े छोटे से उपकरण ’ट्रिम टैब’ पर हल्का सा जोर देने से ही पानी का गुण चलते हुए जहाज को मार्ग बदलने में मदद कर देता है। इसी तरह, भीतर से सही दिशा में एक छोटा–सा प्रयास ब्रह्मांड के गुण के कारण एक बड़ा बदलाव ला सकता है जो हमारे लिए कर्मयोग का मार्ग प्रशस्त करता है।

जब हम बच्चे थे, हमने तब तक कभी हार नहीं मानी जब तक हमने चलना और दौडऩा नहीं सीख लिया जो कि कोई आसान उपलब्धि नहीं है। इसी तरह, कर्म योग में महारत हासिल करने के लिए बार-बार किए गए प्रयास ऐसे परिणाम देंगे जिन्हें छोटी लेकिन निश्चित जीत की एक श्रृंखला के रूप में देखा जा सकता है।


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